यह सिर्फ हार और दर्द की कहानी नहीं, बल्कि उस विश्वास की गाथा है जो किसी को फिर से जीवन जीना सिखा देता है। जानिए, कैसे एक पत्नी के अटूट भरोसे ने उसके पति की दुनिया बदल दीहर पंक्ति आपको भीतर तक छू जाएगी और शायद आपके दिल में भी एक नई उम्मीद जगा देगी। 

रात का सन्नाटा चारों ओर बिखरा हुआ था। खिड़की के पास बैठा राहुल दूर शून्य में टकटकी लगाए देख रहा था। बाहर चाँदनी का उजाला धरती पर फैल रहा था, लेकिन उसके मन का आकाश घने और काले बादलों से ढका हुआ था। पहले उसकी आँखों में जो सपनों की चमक झिलमिलाती थी, अब वहां उदासी की फीकी परछाइयाँ तैर रही थीं।


व्यापार में मिली करारी हार, अपनों के ताने और भीतर उमड़ते अनकहे डर ने उसे भीतर से तोड़ दिया था। हर सुबह उसके लिए एक बोझ बन चुकी थी। वह उठता तो लगता— मानो जीवन ने उसके सारे रंग छीन लिए हों। कभी उसके होठों से निकलते शब्द दूसरों के लिए प्रेरणा बनते थे, पर अब वही शब्द उसकी चुप्पी में कहीं दफ्न हो चुके थे।

घर के किसी कोने से उसकी पत्नी कामना की हल्की-सी आवाज़ आती— राहुल, खाना ठंडा हो जाएगा…” और वह धीमे से सिर हिलाकर बस इतना कहता— मुझे भूख नहीं है।”

यह सिर्फ भोजन की भूख नहीं थी, बल्कि जीवन के प्रति उसकी भूख थी, जो धीरे-धीरे उसके भीतर मर रही थी।

कामना उसकी आँखों में उतर आए उस खालीपन को देख कर भीतर तक काँप उठती थी। हर रात जब वह राहुल को ऐसे देखती, उसका दिल बेतहाशा दुख से भर जाता। लेकिन एक दिन उसने खुद से एक वचन लिया— नहीं… मैं उसे ऐसे नहीं टूटने दूंगी। मैं उसकी आँखों में फिर से वही उजाला भरूँगी, चाहे इसके लिए मुझे हर दिन अपनी सारी ताक़त क्यों न लगानी पड़े।”

कामना भली-भाँति जानती थी कि हर शब्द में एक अद्भुत जादू छुपा होता है— वही जादू जो बिखरे हुए मन को फिर से जोड़ सकता है, टूटी हुई आत्मा को दोबारा खड़ा कर सकता है। उसने ठान लिया कि हर सुबह वह राहुल के दिल में एक नई उम्मीद का बीज बोएगी।

एक शाम वह उसके पास बैठी। चेहरे पर मुस्कान नहीं थी, लेकिन आँखों में अडिग संकल्प चमक रहा था। उसने धीमे से कहा— राहुल… क्या तुम्हें याद है? तुम अक्सर कहते थे कि ‘गिरने के बाद उठना ही असली जीत है।’ तो क्या तुम अपनी ही कही बात भूल जाओगे?”

राहुल कुछ नहीं बोला। पर उसकी आँखों में हल्की-सी नमी उभरी। उसकी चुप्पी में भी जैसे एक लहर उठी—जमी हुई बर्फ कहीं भीतर पिघलने लगी।

अगली सुबह राहुल के कमरे की दीवार पर कामना ने एक चार्ट चिपका दिया। उस पर लिखा था— आज का लक्ष्य—मुस्कराना।”

अगले दिन उसने लिखा— आज का लक्ष्य—दस मिनट टहलना।”

राहुल की निगाहें हर दिन उस चार्ट पर जातीं। पहले वह बस देखता था। फिर कभी-कभी हल्की-सी मुस्कराहट आ जाती। और फिर एक सुबह उसने खुद उस चार्ट पर लिखा—
कल से मैं सुबह की सैर पर जाऊँगा।”

यही वह क्षण था, जब उसकी टूटी आत्मा में फिर से जीवन की किरण उतरने लगी।

अब राहुल हर सुबह टहलने निकलने लगा। हवा में बहती ताजगी उसके दिल में उतरने लगी। वह किताबें पढ़ने लगा, पुराने दोस्तों से बातचीत करने लगा, कुछ पुराने क्लाइंट्स से संपर्क करने लगा। और जब भी उसका मन डगमगाता, कामना उसके सामने बैठ जाती और अपनी कोमल, पर दृढ़ आवाज़ में कहती— राहुल… जीत का रास्ता लंबा होता है। पर अगर हर दिन एक कदम चलोगे, तो एक दिन मंज़िल ज़रूर मिलेगी।”

उसके शब्द ऐसे थे, जैसे अँधेरे में जलती हुई दीपक की लौ— जो आँधियों के बावजूद बुझती नहीं, बल्कि और तेज़ जलने लगती है।


समय अपनी चाल चलता रहा। दिन महीनों में बदल गए। राहुल ने धीरे-धीरे अपने सपनों के तिनकों को फिर से जोड़ा और एक नया व्यापार आरंभ किया। इस बार उसका हर क़दम नपा-तुला था, हर निर्णय में अनुभव की गहराई थी। और हर बार जब वह लड़खड़ाता, तब कामना का संकल्प उसे फिर से थाम लेता।

फिर वह दिन भी आया, जब उसके प्रयास रंग लाने लगे। नई कंपनी ने लाभ देना शुरू किया। राहुल की आँखों में फिर से वही पुरानी चमक लौट आई— वह चमक जो जीवन की सच्ची जीत होती है। कभी जो टूटा हुआ था, वह फिर से उड़ान भरने लगा… और इस बार उसकी उड़ान पहले से भी ऊँची थी।

जीवन में हर कोई किसी न किसी मोड़ पर टूटता है। ऐसे क्षण आते हैं, जब मन थक जाता है, सपने बिखर जाते हैं और आँखों से उम्मीद की रोशनी जैसे कहीं खो जाती है। पर यह याद रखिए— दुनिया का कोई भी अँधेरा सदा के लिए नहीं होता। हर रात के बाद सुबह होती है, हर पतझड़ के बाद वसंत आता है।

अगर आपके जीवन में कोई ऐसा है जो आप पर भरोसा करता है, जो हर दिन आपके लिए एक नई रोशनी जलाने को तैयार रहता है, तो उस हाथ को थाम लीजिए… क्योंकि वही हाथ आपको अँधेरों की कैद से बाहर निकाल सकता है। और अगर ऐसा कोई नहीं है— तो घबराइए मत। खुद ही अपने लिए वह हाथ बन जाइए। अपनी ही उम्मीद जगाइए, अपने ही भीतर के साहस को आवाज़ दीजिए… क्योंकि अंततः, आपकी सबसे बड़ी ताक़त आप स्वयं हैं।

याद रखिए— गिर जाना कभी हार नहीं होता। सच्ची हार तो तब होती हैजब आप उसी गिरावट में ठहर जाते हैं। खुद को सँभालिए… एक-एक कदम आगे बढ़ाते रहिए और फिर एक दिन मुड़कर देखिएगा आज जो टूटा हुआ जीवन लगता हैवही कल किसी और के लिए उम्मीद की मिसाल बन चुका होगा।

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