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क्या आप जानते हैं कि इस बार ITR Filing में सिर्फ एक छोटी सी गलती भी आपको Notice या Scrutiny का सामना करा सकती है? AY 2025-26 के लिए Income Tax Department ने ऐसे कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिन्हें हर CA, Tax Expert और व्यापारी को जानना बेहद ज़रूरी है। AIS, TIS, E-Verification से लेकर नई Filing Utility तक — इस लेख में जानिए हर वो बदलाव जो आपके Income Tax Return की सफलता तय करेंगे! |
आकलन वर्ष 2025-26 (Assessment Year 2025-26) की आयकर रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अब यह अंतिम चरण में प्रवेश कर रही है। ऐसे में यह जानना अति आवश्यक है कि इस वर्ष के लिए आयकर विभाग (Income Tax Department) द्वारा कौन-कौन से बदलाव लागू किए गए हैं। चाहे आप CA हों, टैक्स प्रैक्टिशनर हों या व्यापारी, यह जानकारी आपके लिए एक मार्गदर्शक की तरह कार्य करेगा।
हर साल सरकार compliance को और मजबूत बनाने हेतु tax return process में बदलाव करती है — इस बार भी कुछ बदलाव तकनीकी हैं, तो कुछ प्रक्रियागत (procedural) हैं। इस लेख में हम इन सभी बदलावों को व्यावहारिक उदाहरणों और सहज भाषा के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं जिससे आपकी रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया सरल हो सके और आपके क्लाइंट्स को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान की जा सकें।

1. नए ITR Forms में बदलाव (Changes in ITR Forms): आयकर विभाग ने ITR-1 से लेकर ITR-7 तक के फॉर्म्स में कई छोटे-बड़े परिवर्तन किए हैं। इनमें से
कुछ परिवर्तन निम्न प्रकार हैं:
u Capital Gains
Details:
अब ITR-2
और ITR-3 में Capital Gains की reporting अधिक विस्तृत प्रारूप में
करनी होगी। उदाहरण के लिए, यदि आपने किसी जमीन, मकान या शेयर को बेचा है, तो उसकी बिक्री
की तिथि, लागत, सुधार खर्च, holding period आदि की जानकारी भरनी जरूरी हो गई है। इससे assessment में पारदर्शिता बढ़ेगी।
u Foreign
Assets/Income Disclosure:
यदि आपके पास विदेशों में कोई बैंक खाता, शेयर होल्डिंग या कोई भी
अन्य संपत्ति है, तो उसकी जानकारी अधिक विस्तार से देनी होगी, भले ही आप resident हों या non-resident.
u Nature of
Business/Profession:
अब ITR-3 और ITR-4 में व्यवसाय या पेशे का चयन करते समय correct business code भरना अनिवार्य है, जो विभाग की Revised Code List के अनुसार होना चाहिए।
u Balance Sheet और P&L में Additional
Details:
अब professionals और व्यवसायियों को अपने Turnover में Cash और Digital Receipt का अनुपात दिखाना होगा।
इसके अलावा, depreciation
और loan-related disclosure भी मांगे जा रहे हैं।
2. AIS और TIS
से मेल – अनिवार्य मिलान (Reconciliation with AIS and TIS): AIS (Annual
Information Statement) और TIS (Taxpayer Information
Summary) अब Income Tax Filing का एक अनिवार्य भाग बन चुके
हैं।
u AIS क्या है?
यह एक विस्तृत रिपोर्ट होती है जिसमें बैंक interest,
share market transactions, property खरीद-बिक्री, credit card
खर्च, foreign remittances आदि का पूरा ब्यौरा होता
है। इसे पोर्टल पर लॉगिन कर 'Services > AIS' में देखा जा
सकता है।
u TIS क्या है?
TIS उसी जानकारी का summarized version होता है जिसे department tax calculation के लिए use करता है।
u यह क्यों जरूरी है?
यदि आप AIS/TIS के डेटा से कम या अलग
जानकारी ITR में भरते हैं, तो system तुरंत cross-verify करेगा और mismatch पर scrutiny या notice भेज सकता है।
उदाहरण: यदि AIS में Rs. 55,000/-
interest दिख रहा है लेकिन आपने Rs. 45,000/- ही ITR में declare किया, तो system auto-alert generate करेगा।
3. ई-वेरिफिकेशन की समय सीमा
में बदलाव (New E-Verification Rule): अब ITR दाखिल करने के बाद उसे 30 दिन के भीतर E-Verify करना अनिवार्य
है (पहले यह समय 120
दिन था)। यदि यह निर्धारित समय में नहीं किया गया, तो return को अमान्य (Invalid)
माना जाएगा।
u ई-वेरिफिकेशन के विकल्प:
v आधार OTP (Aadhaar OTP)
v नेट बैंकिंग (Net Banking)
v बैंक अकाउंट से EVC
v डिमैट अकाउंट (Demat Account) से
v फिजिकल साइन करके भेजना (सिर्फ अंतिम विकल्प के तौर पर)
महत्वपूर्ण सुझाव: हमेशा OTP आधारित या नेट बैंकिंग से ई-वेरिफिकेशन करें जिससे प्रक्रिया तेज और सुरक्षित हो।

4. न्यू Validation प्रणाली – स्मार्ट Filing
Utilities: Income Tax Department ने Offline Utility को इस वर्ष और ज्यादा सशक्त
बनाया है, जिससे filing के दौरान ही system आपको चेतावनी (warning) दे देगा यदि कोई जानकारी AIS/TIS से मेल नहीं खा रही हो।
उदाहरण: अगर आपने rental income या FD interest
कम दिखाया है, और system को mismatch मिला, तो तुरंत warning pop-up आएगा:
“Warning: Reported income is less than AIS reported value. Kindly
reverify.”
यह सुविधा return को accurate और compliance-friendly बनाती है।
5. पुरानी और नई कर व्यवस्था का चयन (Choosing Old vs New Tax Regime): इस बार return filing में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि आपको स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आप कौन-सी
कर व्यवस्था चुन रहे हैं।
u पुरानी कर व्यवस्था (Old Regime):
v इसमें आप 80C, 80D, HRA, LTA आदि deductions
का लाभ ले सकते हैं।
v Tax slab अधिक हैं लेकिन छूटें (exemptions)
ज़्यादा हैं।
u नई कर व्यवस्था (New Regime – Section 115BAC):
v Simplified slab rates.
v लेकिन लगभग सभी deductions प्रतिबंधित (restricted) हैं।
v यदि आप New Regime को चुनते हैं, तो अधिकांश
मामलों में Form 10-IEA की जरूरत नहीं होती।
u बिजनेस करने वालों के लिए: यदि आप Old Regime
में रहना चाहते हैं, तो Form 10-IEA समय पर भरना अनिवार्य है।
6. फॉर्म 10-IEA का महत्व (Importance of Form 10-IEA):
यह फॉर्म आपको तभी भरना होता है जब:
v आप व्यवसायी या पेशेवर हैं, और
v आप Old Tax Regime चुनना चाहते हैं।
समय सीमा: इसे A.Y. 2025-26 की return की due date से पहले Income Tax Portal पर भरना होगा।
यदि आप समय से नहीं भरते, तो आपका ITR New Regime के अनुसार माना जाएगा — भले ही आपने return में कुछ और दिखाया हो।
7. Presumptive Taxation में Reporting का बदलाव (Section 44AD/ADA/AE): Presumptive Income Scheme अपनाने वालों
को अब कुछ नई जानकारियां भी देनी होती हैं:
v Cash receipts और Digital receipts का अलग-अलग अनुपात;
v यदि आप digital तरीके से payment लेते हैं, तो lower presumptive rate का लाभ मिल सकता है;
v Nature of business/profession को सही कोड के अनुसार classify करना आवश्यक है।
नोट: यह परिवर्तन छोटे व्यापारियों और professionals के लिए बड़ी सुविधा है, लेकिन सही filing जरूरी है।
8. Refund में तेजी और सावधानी (Faster Processing & Refund Tips): इस वर्ष return processing
और refund issue पहले से बहुत तेज हुआ है। Refund अब अधिकांश मामलों में 7 से 15 दिनों के भीतर आ जाता
है, लेकिन ध्यान दें:
v बैंक अकाउंट पहले से pre-validated हो;
v PAN और bank account का नाम एक जैसा हो;
v AIS से data mismatch न हो;
v Form 26AS में दिख रहे TDS का सही उपयोग हो।
9. अन्य महत्वपूर्ण Compliance Changes:
v Form 16 में नया breakup: अब employer को deduction details और regime clearly दिखाना होता है;
v TDS
और TCS mismatch के कारण refunds अटक सकते हैं;
High Value Transactions: अब Rs. 10 लाख से ऊपर की cash deposit, mutual fund, credit card spends आदि scrutiny में आ सकते हैं।
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आकलन वर्ष 2025-26 में आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया पहले
की तुलना में कहीं अधिक पारदर्शी, डिजिटल और जाँच-उन्मुख (scrutiny-oriented) हो गई है। ऐसे परिवेश में, AIS
(Annual Information Statement), TIS (Taxpayer Information Summary),
E-Verification और पुरानी अथवा नई कर व्यवस्था (Old/New
Tax Regime) का सही चयन — एक सफल और त्रुटिरहित रिटर्न दाखिल करने के
लिए अत्यंत आवश्यक हो गया है। यदि आप एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, टैक्स प्रैक्टिशनर या व्यापारी हैं, तो यह आवश्यक है कि आप इन सभी परिवर्तनों को
भली-भांति समझें और उनका पालन करते हुए रिटर्न दाखिल करें — जिससे न केवल
विभागीय नोटिस से बचा जा सके, बल्कि आपके क्लाइंट का विश्वास और संतुष्टि भी
सुनिश्चित की जा सके। |
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