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क्या आप जानते हैं, हमारे
जीवन का पहला शिक्षक कौन
है? क्या सचमुच गुरु केवल कक्षा और किताबों तक सीमित हैं, या फिर हर मोड़ पर जीवन हमें अनोखे शिक्षकों से मिलाता है? जानिए वह अद्भुत
सच, जो इस शिक्षक दिवस को आपके लिए
अविस्मरणीय बना देगा। |
शिक्षक दिवस
केवल एक तिथि नहीं, बल्कि यह वह अवसर है जब हम अपने जीवन में उन सभी व्यक्तियों को स्मरण करते हैं, जिन्होंने हमें
सीखने और आगे बढ़ने की दिशा दी। एक सच्चा शिक्षक केवल पढ़ाता ही नहीं, बल्कि अपने
शिष्य के जीवन को गढ़ने और संवारने का दायित्व भी निभाता है। उनके ज्ञान और अनुभव
से ही शिष्य का भविष्य उज्ज्वल और समृद्ध बनता है।
हमारे जीवन का
पहला शिक्षक हमारे माता-पिता होते हैं। उनकी गोद में हमें जीवन की मूलभूत सीख
मिलती है – संस्कार, धैर्य, त्याग और प्रेम। आगे चलकर विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में गुरुजन हमें
शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। परंतु जीवन का सत्य यह है कि शिक्षक केवल
कक्षा या पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं होते। कभी एक अनपढ़ मजदूर अपने संघर्षों से
हमें मेहनत और धैर्य का महत्व सिखा जाता है, तो कभी एक मासूम बच्चा अपनी
निश्छल मुस्कान से हमें सादगी और निस्वार्थ प्रेम का अमूल्य पाठ पढ़ा देता है।
गुरु का कर्तव्य केवल ज्ञान बाँटना नहीं, बल्कि शिष्य को सही दिशा दिखाना भी है। वह उस कुम्हार की तरह होता है, जो बाहर से थपकी और चोट देता है, पर भीतर से अपनी उंगलियों की नर्मी से घड़े को आकार देता है। इसी प्रकार शिक्षक की कठोरता में भी करुणा और स्नेह छिपा होता है। उनका हर शब्द और हर डांट शिष्य को जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करने का साधन है।

गुरु और शिष्य
का रिश्ता केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्वास और
प्रेरणा का रिश्ता है। जब कोई शिष्य जीवन में बड़ी ऊंचाइयाँ प्राप्त करता है, तो उसके पीछे
गुरु का आशीर्वाद और मार्गदर्शन अवश्य होता है। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति
में गुरु को ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। क्योंकि गुरु ही वह सेतु है जो
हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और भ्रम से सत्य की ओर ले जाता है।
आज के इस
आधुनिक समय में भी जब तकनीक और सूचना के अनगिनत साधन उपलब्ध हैं, तब भी एक सच्चे
गुरु की भूमिका अपरिवर्तनीय है। मशीनें जानकारी दे सकती हैं, परंतु जीवन
जीने का सही दृष्टिकोण केवल एक गुरु ही दे सकता है। उनका स्नेह, धैर्य और
आशीर्वाद शिष्य को वह शक्ति प्रदान करता है, जो किसी भी कठिन परिस्थिति
में उसे हारने नहीं देती।
इसलिए इस पावन
अवसर पर हमें यह याद रखना चाहिए कि शिक्षक कोई एक रूप या व्यक्ति नहीं है। जीवन
में जहां से भी शिक्षा मिलती है, वही शिक्षक है। इसलिए हर शिष्य का परम कर्तव्य है कि वह हर
गुरु को आदर की दृष्टि से देखे। और साथ ही, हर शिक्षक के हृदय में अपने
शिष्यों के लिए करुणा, स्नेह और प्रेम की भावना सदैव जागृत रहे – यही इस दिवस का
सबसे बड़ा संदेश है।
सभी आदरणीय शिक्षकगणों को हृदय से नमन और शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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