
जब दुनिया ने उसकी सादगी को उसकी कमजोरी मान लिया, तब भी उसने अच्छाई का दामन थामे रखा। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि प्रतीक और प्रेरणा की वह जीवनयात्रा है जिसमें संघर्ष हैं, किन्तु आत्मबल, विश्वास और प्रेम की अडिग ताकत भी है। पढ़िए एक ऐसी प्रेरणादायक दास्तान, जो न सिर्फ आपके दिल को छू जाएगी, बल्कि सोच और दृष्टिकोण को भी बदल देगी। |
एक बार की बात है...
एक छोटे से शहर में प्रतीक नाम का एक नौजवान रहता था। उसकी आंखों में सपने तो थे, लेकिन जीवन बहुत सादा था। वो न तो अमीर था, न ही उसके पास कोई बड़ा ओहदा था। मगर फिर भी, जो कोई भी उससे मिलता, बस उसी का होकर रह जाता। उसकी मुस्कान में एक अजीब-सी अपनापन था और उसकी बातों में सच्चाई की गर्माहट।
प्रतीक का स्वभाव अत्यंत सरल था। वह हमेशा सभी की मदद करने के लिए तत्पर रहता था — वह भी बिना किसी अपेक्षा के। जो लोग उसे नहीं जानते थे, वे उसे केवल एक सीधा-साधा इंसान समझते थे। लेकिन जो उसे करीब से जानते थे, वे भली-भांति जानते थे कि उसकी सरलता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी।
लेकिन इस दुनिया में अच्छाई को हमेशा सराहा नहीं जाता। क्योंकि आज की दुनिया में अधिकांश लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति को ही अपनी महानता समझते हैं। यही कारण था कि कुछ लोग प्रतीक की सरलता का मज़ाक उड़ाते थे, कुछ उसे बेवकूफ समझते थे और कुछ तो उसकी पीठ पीछे हँसते भी थे। कई बार तो जिन लोगों की उसने मदद की थी, वही लोग उसके मार्ग में बाधा बन गए।
लेकिन फिर भी, प्रतीक ने कभी किसी के लिए बुरा नहीं सोचा। उसका एक ही उत्तर होता — 'तुम खुश रहो, मस्त रहो और स्वस्थ रहो'। वह हमेशा खुद को दूसरों की जगह रखकर सोचता था कि जो बात मुझे बुरी लग रही है, वह किसी और को भला अच्छी कैसे लग सकती है? यही कारण था कि वह हमेशा हर किसी के साथ अच्छा व्यवहार करता था।
उसकी सबसे बड़ी पूँजी थी — आत्मसम्मान। अगर कभी उसकी कोई गलती होती, तो वो तुरंत स्वीकार कर लेता। लेकिन जब बिना किसी वजह के कोई उस पर ऊँची आवाज़ में बोलता, तो वो चुप नहीं रहता। वो भीतर से बहुत भावुक था, लेकिन अपने उस भाव को कमज़ोरी बनने नहीं देता था।
उसके जीवन में प्रेरणा नाम की एक लड़की आई। नहीं, सिर्फ एक लड़की नहीं — वह उसकी जीवनसंगिनी थी, उसकी सबसे बड़ी ताकत, उसकी सच्ची साथी। प्रेरणा को कभी ज्यादा की अपेक्षा नहीं रही। जो थोड़ा बहुत मिल जाता, उसी में वह संतुष्ट रहती। उसने प्रतीक की अच्छाइयों को न सिर्फ समझा, बल्कि हर कठिन मोड़ पर उसके साथ दृढ़ता से खड़ी रही।
प्रतीक कई बार थक जाता, टूट जाता, लेकिन प्रेरणा हमेशा मुस्कराकर उससे कहती, 'तुम्हारा रास्ता अलग है, इसलिए तुम्हारी मुश्किलें भी अलग हैं। लेकिन मैं जानती हूँ कि तुम्हारी मंज़िल बहुत ही सुंदर होगी।
उनका जीवन संघर्षों से भरा था। समाज की समझ, परिवार की अपेक्षाएं, आर्थिक तंगी — सब कुछ था। मगर ईश्वर की कृपा ऐसी थी कि उनका कोई काम कभी रुकता नहीं था। कहीं न कहीं से कोई मददगार मिल ही जाता था, कोई ऐसा जिससे प्रतीक की राह फिर से आसान हो जाती।
कुछ लोगों ने तो चाहा कि प्रतीक सड़कों पर आ जाए, लेकिन प्रभु ने उसके लिए कुछ अच्छे लोग रखे थे, जो समय पर सामने आ जाते। जिसने भी दिल से उसकी अच्छाई को समझा, वह जीवनभर उसका साथ देता रहा।
धीरे-धीरे, प्रतीक और प्रेरणा का जीवन एक सुव्यवस्थित ढाँचे में ढलने लगा। अब उनके पास बहुत कुछ नहीं था, लेकिन संतोष भरपूर था। संघर्ष कम हो गए थे, और जीवन में स्थिरता आ गई थी।
आज भी प्रतीक वैसा ही है — मिलनसार, मददगार और आत्मसम्मानी। उसने सिखा दिया कि सरल होना कमजोरी नहीं, बल्कि एक शक्ति है। और प्रेरणा की तरह किसी का साथ मिल जाए, तो कोई राह कठिन नहीं होती।
यह कहानी सिर्फ प्रतीक और प्रेरणा की नहीं है, यह उन सबकी है जो इस स्वार्थी दुनिया में भी भलमनसाहत के साथ जीना चाहते हैं, जो हर दिन चुनौतियों से लड़ते हुए भी मुस्कुराना नहीं छोड़ते।
अगर आपने कभी महसूस किया हो कि आपकी अच्छाई का मज़ाक उड़ाया गया है, तो याद रखिए — “असली नायक वो होता है जो बुरा सुनकर भी अच्छा करने से पीछे न हटे।”
प्रतीक और प्रेरणा की कहानी सिर्फ दो लोगों की नहीं, बल्कि उन सभी के जीवन की झलक है जो आज भी सच्चाई, सादगी और इंसानियत के रास्ते पर चलते हैं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब इंसान अपने इरादों में सच्चा होता है, जब उसके दिल में किसी के लिए द्वेष नहीं होता, और जब वह बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद करता है, तो चाहे रास्ते में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, ईश्वर हर मोड़ पर उसके लिए एक राह ज़रूर बना देता है। |
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