भारत में आयकर प्रणाली में पारदर्शिता और सूचना के केंद्रीकरण को सुनिश्चित करने के लिए आयकर विभाग ने दो प्रभावशाली उपकरण प्रस्तुत किए हैं – AIS (Annual Information Statement) और TIS (Taxpayer Information Summary)। ये दोनों रिपोर्टें करदाता की सभी प्रमुख वित्तीय गतिविधियों का समग्र विवरण प्रदान करती हैं और करदाता को यह समझने का अवसर देती हैं कि सरकार के पास उनकी आमदनी और लेन-देन की क्या जानकारी उपलब्ध है।


r AIS (वार्षिक सूचना विवरण) क्या है?

AIS एक विस्तृत रिपोर्ट होती है जिसे आयकर विभाग करदाता के PAN से जुड़ी विभिन्न वित्तीय गतिविधियों को एकत्रित कर तैयार करता है। यह रिपोर्ट इस उद्देश्य से बनाई गई है कि करदाता आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले अपने समस्त लेन-देन की समीक्षा कर सके।

AIS में मुख्यतः निम्नलिखित जानकारियाँ शामिल होती हैं:

  • बैंक खातों से प्राप्त ब्याज: जैसे बचत खाता या एफडी पर अर्जित ब्याज।
  • म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार के लेन-देन: आपने कितनी यूनिट्स खरीदीं या बेचीं, किस दाम पर और कौन से AMC/Broker के माध्यम से।
  • संपत्ति की खरीद और बिक्री: रजिस्ट्री कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार यदि आपने रु. 30 लाख या उससे अधिक की संपत्ति खरीदी है, तो वह AIS में रिपोर्ट होती है।
  • क्रेडिट कार्ड खर्च: यदि आपने रु. 1 लाख या अधिक की नकद भुगतान किया है या कुल वार्षिक खर्च एक तय सीमा से अधिक है।
  • विदेशी लेन-देन और नकद जमा/निकासी: विशेष रूप से यदि आपने फॉरेन ट्रैवल या रेमिटेंस किया है।

AIS को दो भागों में विभाजित किया गया है:

  • Part A: इसमें आपकी सामान्य जानकारी होती है जैसे PAN, नाम, आधार, मोबाइल नंबर, ईमेल आदि।
  • Part B: इसमें आपकी सभी रिपोर्टेड वित्तीय गतिविधियों की जानकारी होती है जिन्हें विभाग विभिन्न स्रोतों से एकत्र करता है।

r     TIS (करदाता सूचना सारांश) क्या है?

TIS, AIS का ही एक सरलीकृत संस्करण है। इसमें करदाता की वर्षभर की अनुमानित आय, व्यय, कर योग्य आय, और कर देनदारी को संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है। यह रिपोर्ट उस समय विशेष उपयोगी होती है जब करदाता ITR भरने की तैयारी कर रहा हो।

TIS की विशेषता यह है कि इसमें आय और कटौतियों के आधार पर आपकी अनुमानित टैक्स देनदारी का उल्लेख होता है। इसके आधार पर आयकर पोर्टल आपको प्री-फिल्ड ITR फॉर्म प्रदान करता है, जिससे रिटर्न दाखिल करना आसान हो जाता है।

r     AIS और TIS के प्रमुख लाभ:

1.    पारदर्शिता: ये रिपोर्टें करदाता को यह समझने में सहायता करती हैं कि उनके नाम से कौन-कौन सी वित्तीय सूचनाएं विभाग के पास उपलब्ध हैं। इससे अनावश्यक गलती की संभावना कम होती है।

2.    ITR फाइलिंग में सुविधा: TIS रिपोर्ट में दी गई जानकारी के आधार पर करदाता का ITR फॉर्म स्वतः भरकर तैयार हो जाता है जिससे समय की बचत होती है।

3.    नोटिस से बचाव: यदि करदाता AIS की रिपोर्ट की तुलना में सही ITR फाइल करता है तो किसी भी मिसमैच के कारण नोटिस आने की संभावना कम हो जाती है।

4.    डेटा की पुष्टि: AIS में दिए गए आंकड़ों को अपने बैंक स्टेटमेंट, निवेश विवरण आदि से मिलाकर करदाता यह सुनिश्चित कर सकता है कि रिपोर्ट सही है या नहीं।

5.    प्रतिक्रिया सुविधा: यदि AIS में कोई जानकारी गलत दिखाई देती है तो पोर्टल पर Feedback” देकर आपत्ति दर्ज की जा सकती है, जिसे विभाग जांच कर सुधारता है।

r     संभावित चुनौतियाँ:

  • जानकारी में त्रुटि: कभी-कभी बैंक या अन्य रिपोर्टिंग संस्थाएं गलत ब्यौरा भेज देती हैं जिससे AIS में गलत जानकारी जुड़ जाती है।
  • मिसमैच का खतरा: यदि आपने ITR में जो जानकारी दी है वह AIS से मेल नहीं खाती तो विभाग आपको स्पष्टीकरण या नोटिस भेज सकता है।
  • फीडबैक प्रक्रिया में समय: यदि आपने गलती पर फीडबैक दिया है, तो विभाग को उसे स्वीकार या संशोधित करने में कुछ दिन लग सकते हैं। जब तक वह अपडेट नहीं होता, तब तक ITR दाखिल करना टालना चाहिए।
  • तकनीकी समस्याएँ: पोर्टल पर लॉगिन, AIS डाउनलोड करना या Feedback सबमिट करना कभी-कभी तकनीकी कारणों से कठिन हो सकता है।

r     AIS और TIS बनाम Form 26AS:

Form 26AS एक पारंपरिक रिपोर्ट है जिसमें केवल टीडीएस और कुछ चुनिंदा लेन-देन की जानकारी होती है, जबकि AIS में लगभग सभी वित्तीय गतिविधियाँ शामिल होती हैं। TIS उसी विस्तृत AIS का सारांश है।

विशेषता

Form 26AS

AIS

TIS

जानकारी की प्रकृति

सीमित (TDS आधारित)

विस्तृत

सारांश

जानकारी के स्रोत

टीडीएस और फॉर्म 15G/15H

बैंक, म्यूचुअल फंड, रजिस्ट्रार, GST, EPFO

AIS पर आधारित

सुधार की सुविधा

नहीं

हाँ

हाँ

r     AIS में रिपोर्ट होने वाले मुख्य लेन-देन:

लेन-देन का प्रकार

रिपोर्टिंग संस्था

रिपोर्टिंग सीमा

बचत खाते पर ब्याज

बैंक

रु. 10,000+

FD पर ब्याज या जमा

बैंक

रु. 10 लाख+

क्रेडिट कार्ड खर्च

बैंक

रु. 1 लाख+ (कैश), रु. 10 लाख+ (अन्य माध्यम से)

संपत्ति खरीद/बिक्री

रजिस्ट्री विभाग

रु. 30 लाख+

म्यूचुअल फंड निवेश

AMC/Broker

कोई सीमा नहीं

r     AIS पर Feedback कैसे दें?

1.    आयकर पोर्टल (www.incometax.gov.in) पर लॉगिन करें।

2.    “AIS” टैब पर जाएं और रिपोर्ट डाउनलोड करें।

3.    प्रत्येक प्रविष्टि को ध्यानपूर्वक पढ़ें और अपने रिकॉर्ड से तुलना करें।

4.    यदि कोई जानकारी गलत है, तो "Feedback" विकल्प पर क्लिक करें और कारण सहित सही जानकारी दर्ज करें।

5.    सबमिट करने के बाद उसकी स्थिति ट्रैक करें। जब वह अपडेट हो जाए, तभी ITR दाखिल करें।

उदाहरण:

मान लीजिए आपकी FD पर बैंक ने रु. 50,000 ब्याज AIS में रिपोर्ट किया है, लेकिन आपकी पासबुक और बैंक प्रमाण के अनुसार रु. 30,000 ही ब्याज प्राप्त हुआ है। ऐसे में AIS में उस प्रविष्टि पर जाकर Information is incorrect” विकल्प चुनें, सही ब्याज राशि दर्ज करें, और दस्तावेज़ अपलोड करें। ऐसा करने से आप गलत आय घोषित करने के आरोप से बच सकते हैं।

निष्कर्ष:

AIS और TIS रिपोर्ट आयकर रिटर्न भरने से पहले देखने योग्य आवश्यक दस्तावेज़ बन जाते हैं जिनके माध्यम से सरकार को आपकी आय और खर्च की पूरी जानकारी प्राप्त होती है।

यदि आप इन रिपोर्टों को समय पर जांचते हैं, त्रुटियों को ठीक करते हैं और उसी के अनुरूप ITR दाखिल करते हैं, तो आप अनावश्यक नोटिस से बच सकते हैं और अपने टैक्स प्लानिंग को और प्रभावी बना सकते हैं। इस प्रकार आपको सलाह दी जाती है कि हर वर्ष वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद AIS और TIS रिपोर्ट की जांच करना अपनी आदत बना लें।

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